शेख हसीना को फांसी की सजा से बांग्लादेश में बवाल! डरकर मीडिया को ऐसी वॉर्निंग दे रही यूनुस सरकार
Publishing Hasina Statements
ढाका: Publishing Hasina Statements: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते मीडिया को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के बयानों को प्रकाशित करने से बचने की चेतावनी दी है. ये चेतावनी सभी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया के लिए है.
डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी (एनसीएसए) ने सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया कि हसीना के बयानों में ऐसे निर्देश या आह्वान हो सकते हैं जो हिंसा, अव्यवस्था और आपराधिक गतिविधियों को भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने में सक्षम हैं.
विज्ञप्ति में कहा गया, 'हम मीडिया से राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में जिम्मेदारी से काम करने का आग्रह करते हैं.' एजेंसी ने कहा कि वह इस बात से बेहद चिंतित है कि कुछ मीडिया संगठन शेख हसीना के नाम पर टिप्पणियां प्रसारित और प्रकाशित कर रहे हैं.
यह देखते हुए कि दोषी और भगोड़े दोनों व्यक्तियों के बयानों को प्रसारित या प्रकाशित करना साइबर सुरक्षा अध्यादेश के प्रावधानों का उल्लंघन है, एजेंसी ने चेतावनी दी कि अधिकारियों को ऐसी सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने का अधिकार है जो राष्ट्रीय अखंडता, सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा पहुंचाती है, जातीय या धार्मिक घृणा को बढ़ावा देती है, या सीधे हिंसा को उकसाती है.'
इसमें आगे कहा गया है कि घृणा फैलाने वाले भाषण, जातीय उत्तेजना या हिंसा के लिए आह्वान करने के लिए गलत पहचान का उपयोग करना या अवैध रूप से सिस्टम तक पहुंच बनाना एक दंडनीय अपराध है. इसके लिए दो साल तक की कैद और 10 लाख टका तक के जुर्माने का प्रावधान है.
प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने पर जोर देते हुए एनसीएसए ने मीडिया घरानों से आग्रह किया कि वे दोषी व्यक्तियों के किसी भी हिंसक, भड़काऊ या आपराधिक रूप से उत्तेजक बयान को प्रसारित करने से बचें और अपने कानूनी दायित्वों के प्रति सचेत रहें.
78 वर्षीय हसीना को सोमवार को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा उनकी अनुपस्थिति में मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी. यह सजा पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर उनकी सरकार की क्रूर कार्रवाई के लिए दी गई थी.
अदालत ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी इसी तरह के आरोपों में मौत की सजा सुनाई. शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश से भागने के बाद से भारत में रह रही हैं. अदालत ने उन्हें पहले भगोड़ा घोषित किया था. बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसला एक बुनियादी सिद्धांत की पुष्टि करता है, 'कोई भी, चाहे वह किसी भी शक्ति का हो, कानून से ऊपर नहीं है.'
फैसले पर टिप्पणी करते हुए हसीना ने आरोपों को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताते हुए इनकार किया और कहा कि यह फैसला एक धांधली न्यायाधिकरण द्वारा दिया गया है. इसकी स्थापना और अध्यक्षता एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा की गई है. इसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है.